
परिचय
भारतीय शेयर बाजार पर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) का दबाव बढ़ता जा रहा है। दिसंबर 2025 के पहले 12 दिनों में FPIs ने 17,955 करोड़ रुपये की भारी निकासी की, जिससे साल भर का कुल बहिर्वाह 1.6 लाख करोड़ रुपये हो गया। NSDL के आंकड़ों से साफ है कि यह ट्रेंड नवंबर के 3,765 करोड़ के बहिर्वाह के बाद और तेज हुआ।
बहिर्वाह के मुख्य कारण
रुपये की तेज गिरावट और भारतीय शेयरों के ऊंचे वैल्यूएशन ने FPIs को दूर भगाया। अमेरिका की ऊंची ब्याज दरें और वहां सुरक्षित निवेश के आकर्षण ने भी योगदान दिया।
मॉर्निंगस्टार के हिमांशु श्रीवास्तव कहते हैं कि कड़ी लिक्विडिटी और विकसित बाजारों की चमक ने भारतीय बाजार को प्रभावित किया।
DIIs की भूमिका और बाजार प्रभाव
हालांकि FPIs की बिकवाली से बाजार दबाव में है, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने 39,965 करोड़ रुपये झोंककर इसे संभाल लिया।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स के वीके विजयकुमार का मानना है कि भारत की मजबूत ग्रोथ स्टोरी से यह बिकवाली लंबे समय तक नहीं टिकेगी।
निवेशकों के लिए सलाह
लंबी अवधि के निवेशक घबराएं नहीं, SIP और मजबूत कंपनियों पर फोकस करें। छोटे निवेशक डायवर्सिफिकेशन अपनाएं। आने वाले दिनों में बहिर्वाह कम होने की उम्मीद है।